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Saturday, May 26, 2018

अन्याय की पराकाष्ठा और न्याय की कीमत चुकाने में असमर्थता से उपजी असहाय स्थिति के गर्भ में पलकर नक्सलियों और पत्थरबाजो की पैदाइश हुई है !

औरत के शरीर की ये जो दो गांठें है ना, ये दरअसल है तो इसलिए ताकि वो अपने बच्चे को दूध पिला सके, एक नयी जिंदगी का सर्जन कर सके, लेकिन यहि गाँठ पुरुषों के दिमाग ट्यूमर है, ये गाँठ ट्यूमर की तरह हर पुरुष के दिमाग में है, फिर वो पुरुष चाहे ट्रेफिक सिग्नल पर भीख माँगता भिखारी हो, अपने एयरकंडीशनर ऑफिस में बैठा बिज़नसमैन हो, सीमा पर खड़ा जवान हो, चाहे देश के सर्वोच्च पद पर बैठा कोई व्यक्ति हो !
कुछ दिन पहले विधा बालन ने सिर्फ इतना कहा था 'एक आर्मी जवान लगातार मेरे ब्रेस्ट को घूर रहा था'
और भक्त मंडली इसे आर्मी का अपमान बताने लगी !
इसमे आर्मी का अपमान कहाँ हो गया ?

आर्मी में जाने वाले लोग भी इसी विकृत मानसिकता वाले समाज का हिस्सा है और एक आर्मी वाले की मानसिकता एक आम सिविलियन से कहीँ ज्यादा विकृत या यूँ कहे अपोजिट जेंडर को लेकर ज्यादा कुंठित होती है !
इसके लिए भी सरकारी नीतियां हि जिम्मेदार है, एक तो लगातार घर से दूर और विषम परिस्तिथियों में रहते हुऐ आर्मी वाले मानसिक अवसाद का शिकार रहते है, और दूसरा जहाँ भी सैनिको को विशेष अधिकार मिले है वहाँ ये सबको अपना गुलाम समझते है नक्सल प्रभावित इलाके में ये लड़कियों के ब्रेस्ट दबाकर उनमें से दूध निचोड़ कर जाँच करते है की लड़की नक्सली तो नहीँ ! यहाँ आर्मी वालों द्वारा किसी भी महिला का रेप होना बिलकुल सामान्य घटना है बिलकुल ऐसे हि हालात कश्मीर और उत्तरपूर्व में है !
लगातार ऐसे माहौल में रहने की वजह से इनमें से अधिकतर का व्यवहार बिलकुल तानाशाह की तरह हो जाता है !
ऐसा भी नहीँ की सारे सैनिक ऐसे हि होते है, जैसे सारे पुरुष बलात्कारी नहीँ होते, सारे नेता चोर नहीँ होते उसी तरह सारे सैनिक भी ऐसे नहीँ होते ! लेकिन हाँ इतना जरुर है सेक्स को लेकर इनकी मानसिकता आम लोगों से कहीँ ज्यादा विकृत रहती है !
तो सेना का ये महिमामंडन बंद कीजिए, सेना को पूजना और और उसे देश और समाज से ऊपर रखना बंद कीजिए !
सेना में जाने का कारण कोई देशभक्ति नहीं बल्कि बेरोज़गारी के दौर में रोजगार और सेना की सैलरी होती है !
लिखकर रख लीजिए किसीभी आर्मी वाले को किसी दूसरे संस्थान में छोटी नौकरी भी मिल जाये तो वो तुरंत सेना को छोड़ देगा !
फर्जी देशभक्त जो सेना की पूजा करके एक घातक संस्कृति को बढ़ावा दे रहे है मैं उनको चैलेंज कर
रहा हूँ -
इनमें से कोई भी देशभक्त ट्रेन के किसी ऐसे कम्पार्टमेंट जिसमे छ में से चार सीट पर आर्मी वाले हो उसमे अपनी माँ बहन बेटी के साथ यात्रा करके बताये !
इन लोगों का कभी कभी जंगलों की सेना से सामना नही हुआ, कभी गडचिरोली,अहेरी, बस्तर, लालगढ की सड़कों पर 7 बजे के बाद परिवार के साथ निकलिए, जायका लीजिए कभी सेना की खातिरदारी का !
अगर ये नहीँ कर पाओ तो, राष्ट्रवाद के नाम पर गंध फैलाना बंद कीजिए ! राष्ट्रवाद की ऐसी गंध जिसमें खुदको देशभक्त साबित करने के लिए भी एक महिला का चरित्र हनन करना पड़े ! एक पीढ़ित को हो आरोपी बनाना पड़े !
आप भी इंसान है जानवर नहीँ इसलिए भेड़ बकरियों की तरह आपको संचालित करने वाले चंद गड़रियों के पीछे चलना बंद कीजिए !
नक्सली, आतंकी, पत्थरबाज किसी खेत में नहीं पैदा होते ! ना वो किसी असेम्बली लाइन वाली फैक्ट्री से 'मॉस प्रोड्यूस' हो के आते हैं ! सो महान देशभक्तों, सोचो कि ये हजारो लड़के, लडकियाँ, महिला, पुरुष हथियार लेके अपनी भी जान दांव पर लगा के यूं ही नहीं कूद पड़ते !
वो आते है क्योंकि तुम्हारी सेना अम्बानी, अडाणी जैसो के आदेश पर सरकार की और से, सरकारी आतंकी के तौर पर काम करती है ! उनकी लड़कियों और महिलाओं को सेक्स स्लेव समझती है और पुरूषों को गुलाम !
कभी सोचा है, क्यूं आदिवासी महिलाएँ आर्मी मुख्यालय के आगे नग्न होकर प्रदर्शन करती है और कहती है रेप अस ?
कभी सोचा है आर्मी वालों की हत्या के बाद महिला नक्सली घृणा से क्यूँ उनके लिंग काट देती है ?
कश्मीर से लेकर छत्तीसगढ़, झारखंड, असम जहाँ कहीं भी सेना को विशेषाधिकार मिले वहाँ हर घर में एक सोनी सोरी एक मकड़म हिड़मे मिलेगी !
अभी मेजर गोगोई के बचाव में खड़े हो, कौन है गोगोई ?
वहि न जिसने एक नाबालिग लड़की के बड़े भाई को आतंकी बताकर तड़पा तड़पाकर मार दिया और अपने छोटे भाई को बचाने के लिए उस नाबालिग लड़की को गोगोई के साथ होटल में आने को मजबूर होना पड़ा ! वही गोगोई जो आधी रात को जाँच के बहाने किसीके घर में भी घुस जाता है !
अन्याय की पराकाष्ठा और न्याय की कीमत चुकाने में असमर्थता से उपजी असहाय स्थिति के गर्भ में पलकर नक्सलियों और पत्थरबाजो की पैदाइश हुई है !
ये सब देख कर क्या एक कुढ़न पैदा नहीं होती ?
अगर आपमे इंसानियत जिंदा होती तो समझते की ऐसी स्तिथि में जिंदगी बोझ लगने लगती है और अपनी असहाय स्थिति का कोफ़्त भरा एहसास होता है !
ये घुटन, अत्याचार और फिर जीने के लिए गिड़गिड़ाना...
उनकी विनती कोई सुनता नहीं, न्याय
के लिए पैसे नहीं, इस सबसे घृणा पैदा होती है और उस घृणा से नक्सलियों, आतंकियों और पत्थरबाजो की पैदाइश !
अगर इस देश को बचाना है और देश को बचाने से भी बढ़कर यदि आपमे इंसानियत जिंदा है तो, सेना का महिमामंडन बंद कीजिए और हर गोगोई के विरोध में खड़े होइये !
.... बाकी मुझे देशद्रोही का सर्टिफिकेट देना चाहो तो..... गो टू हेल.... मुझे तुम्हारे सर्टिफिकेट की जरुरत नहीँ !


:-From Girraj Ved facebook wall

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