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Saturday, June 3, 2017

मुझे भी उतना ही दुःख होता है जब सुनता हूँ किसी इंसान को उसके धर्म की वजह से जान से मार दिया गया

समाधान दो तरह के होते हैंआपको ही तय करना है कि आपको कैसा समाधान चाहिए.............

मुझे भी उतना ही दुःख होता है जब सुनता हूँ किसी इंसान को उसके धर्म की वजह से जान से मार दिया गया
मुझे भी उतना ही दर्द होता है जितना आपको यदि किसी को उसके मज़हब के लिए पिट पिट कर मार दिया जाता है
किसी गरीब को सिर्फ इसलिए मार दिया जाता है कि उसने अनजाने में किसी के धार्मिक एहसास को चोट पहुँचाया जिसका दुःख मुझे भी होता है
लेकिन मेरा और इस मोहब्बत के दंगे परिवार से जुड़े परिवार का मकसद सिर्फ ये बताना है कि क्यों इस दुःख को सिर्फ एक समुदाय महसूस करे, क्यों वो सिर्फ अपने ही समुदाय के दुःख को दुःख समझे,??
दर्द तो दर्द होता है चाहे किसी समुदाय का हो. मौत तो सबको आनी फिर क्यों सिर्फ हिन्दू को हिन्दू के मौत और मुस्लिम को मुस्लिम के मौत पर दुःख दर्द का एहसास होता है???


लोग कहते हैं आप फलां घटना पर क्यों नहीं बोलते हैं?? आप किस मामले पर क्यों नहीं बोलते हैं? आप उस हत्या पर क्यों नहीं हल्ला करते हैं???
तो दोस्तों सुन लीजिए जैसा कि ऊपर मैंने बताया दुःख हम सब को हर घटना पर होती है लेकिन क्या सिर्फ हम दुःख ज़ाहिर करके, फेसबुक पर कुछ खूबसूरत शब्दों के ज़रिये या गुस्से भरे लहज़े में लिख कर क्या उस घटना का समाधान निकाल रहे हैं???
शायद आप कहेंगे कि विरोध ज़रूरी है तो हाँ मैं मानता हूँ विरोध ज़रूरी है परन्तु उससे कहीं ज़्यादा ज़रूरी उस सामाजिक बुराई जैसे बलात्कार, हत्या, दंगा फसाद का दीर्घ अवधि समाधान या ऐसा समाधान जिसका असर आने वाली कई पीढ़ियों तक हो.
आपके हमारे थोड़े देर के लिए हल्ला, विरोध, जाम, से कोई लम्बे समय का समाधान निकला हो तो एक भी घटना का उदाहरण दीजिए...
मोहब्बत के दंगे परिवार उसी दीर्घ अवधि समाधान (Long term solution ) के तलाश में है उसी कोशिश में है और ये समाधान सिर्फ और सिर्फ आपसी एकता, हिन्दू मुस्लिम एकता से ही संभव है
जब तक हम एक दूसरे के लिए हमदर्द न बने जब तक हम एक दूसरे के दुःख को दुःख न समझे, सब्र से काम न ले तब तक ऐसी समस्याओ जैसे दंगा, फसाद, हत्या नफरत की आग कभी ख़त्म नहीं होगी
और गाँधी जी यही कहा था अगर आँख के बदले आँख ही समाधान होती तो आज दुनिया अंधी होती.
त्याग सब्र और लगातार कोशिश से ही हम इन सारी मुश्किलों का सामना कर सकते हैं  साथ चल कर साथ रह कर, अपने शिक्षा को बढ़ा कर, अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे सुलूक के साथ ही ऐसे माहौल को बनाया जा सकता है जिससे आपसी नफरत कम हो
हम बड़े आसानी से अपने हर बुराई का ठीकरा दुसरो के ऊपर फोड़ देते हैं जैसे नेता के ऊपर, या किसी खास व्यक्ति के ऊपर लेकिन याद रखे कि वो भी हमारे आपके ही समाज से निकला इंसान है
सोशल मीडिया पर किसी घटना को दुसरो के चश्मे से देखना बंद कीजिए, खास जब कोई घटना किसी समुदाय के साथ हुई तो खास कर उस मामले में तो आप बिलकुल ठन्डे दिमाग और अक्ल का इस्तेमाल कीजिए
मैंने कई ऐसे नाम के मुस्लिम लड़को को देखा है हर बुराई में लिप्त हैं लेकिन जब उन पर कार्यवाही होती है तो उसे पीड़ित मुस्लिम दिखा कर माहौल ख़राब किया जाता है और जो ये न्यूज़ देखता या पढता है दूर बैठ कर वो उस पर फ़ौरन यक़ीन कर लेता है
लेकिन जौ के साथ तो घुन पिसता ही है ऐसे मामले के लिए समाज का शरीफ होना, एक होना और साथ होना ही काम आएगा वरना बात फिर घूम कर अपने अपने समुदाय का सोचने पर आजाएगी, और फिर दुरी बढ़ती जाएगी और कुछ कट्टरपंथी ताकते इसी का फायदा उठाती हैं और नेता की चाँदी कटनी शुरू हो जाती है

तो समाधान आखिर क्या है ??? आखिर ऐसा क्या हो कि ऐसी घटनाएं ही न घटे.... ऐसा क्या हो कि लोग एक दूसरे से नफरत न करें ?? आखिर ऐसा क्या किया जाए कि सब मिल कर रहे 

इन सब का जवाब सिर्फ एक ही है शिक्षा, आपसी एकता, मोहब्बत ठन्डे दिमाग से आपस में बात करना और नेताओ की चाटुकारिता से बचना है... और एक ईमानदार कोशिश समाज को जोड़ने की आपसी मेलजोल बढ़ाने की. एक दूसरे को समझने की. एक दूसरे के दुःख सुख में साथ खड़े रहने की ज़रूरत है और यही वो चीज़ है जिससे आप हर समस्या का समाधान लम्बे समय के लिए निकाल सकते हैं....
गौर कर के देखिए और कोशिश कीजिए सिर्फ सोशल मीडिया से समाधान निकलता तो कबका सब ठीक हो जाता लेकिन हम आम लोगो को फ्री की चीज़ो का इस्तेमाल भी अच्छे कामो में कम लेकिन गलत कामो के लिए ज़्यादा करना आता है ...

दीर्घ अवधि समाधान सिर्फ और सिर्फ आपके हमारे साथ मिलकर ज़मीन पर काम करने से ही होगा. 
#MohabbatKeDange परिवार इसी कोशिश में काम करेगा और करता आ रहा है जिसका असर आने वाले कई पीढ़ियों और आपके हमारे बच्चो पर पड़े 
जय हिन्द 


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