आपने पिछले कई दिनों से ये देखा होगा कि आपके व्हाट्सप्प या फेसबुक पर ये मेसेज आया होगा कि "भारत में पिछले 60 साल से कोई विकास का काम नहीं हुआ है तो अब जो सरकार है उसे एक बार मौका दीजिए"
हलाकि इसका जवाब भी लोगो ने वायरल किया है लेकिन मुझे अभी के हालत को देख कर कुछ जानना और पूछना है
अगर पिछले 60 से कुछ नहीं हुआ है तो फिर मौजूदा सर्कार के पास विकास के कार्य करने के लिए तो हज़ारो चीज़े होंगी, जैसे
सड़के,
विज्ञानं के क्षेत्र में काम,
उपग्रह,
रोज़गार,
गरीबी,
किसानो के लिए स्किम,
गांव के विकास के कार्य ,
सीमा सुरक्षा,
आंतरिक सुरक्षा
आतंकी हमला से सुरक्षा
नक्सली हमला से सुरक्षा
साम्प्रदायिकता से सुरक्षा
और भी बहुत सारी समस्याएं हैं लेकिन मैं ये देख रहा हु कि पिछले दो सालो से सिर्फ
धार्मिक मामलो को हवा देना
गौ रक्षा के नाम पर आतंक को बढ़ावा देना
मंदिर मस्जिद के नाम पर उलटे सीधे बयान देना
धर्म के नाम पर जान लेलेना
गौ मांस के नाम पर किसी की हत्या कर देना
कोई साधु साध्वी किसी दूसरे समुदाय के ऊपर गलत बयान दे देना
धार्मिक असहिष्णुता को बढ़ावा देना
कश्मीर में गरीब जनता के ऊपर गोली चलवाना
निर्दोषो को आतंकवादी बता कर जेल में डाल देना या मार देना
गांव को विकसित करने के नाम पर लाखो करोडो रूपये अनुदान में MP हड़प कर रहे हैं
अगर ये सारी चीज़े चाहिए थी पिछले 60 में तो ऐसी मानसिकता को मैं बीमार बोलूंगा
अगर ऐसा ही चाहिए था तो ऐसी सरकार को अलोकतांत्रिक मानूंगा
हलाकि पिछले बार की सरकार की भी बहुत सारी नीतिया और नियत में खोट रही है लेकिन क्या हम नयी सरकार से यही उम्मीद करने केलिए चुने थे??
अगर इतना कुछ बाकी है तो क्यों देश में साम्प्रदायिकता को हवा देने की कोशिश हो रही है?
क्यों नहीं ये नियत है कि देश में विकास के काम ईमानदारी से हो?
क्यों नहीं रोज़गार बढ़ाने के कार्य हो रहे हैं ?
लेकिन ये सब न करके सिर्फ और सिर्फ हिन्दू मुस्लिम एकता को तोड़ो और राज करो, वाली पालिसी को अपनाया जा रहा है जिससे देश में राज तो कर सकते हैं लेकिन तरक्की नहीं दिला सकते
चाटुकारिता की स्तिथि पैदा करना चाहते हैं ये नेता, काले अँगरेज़ बनना चाहते हैं क्युकी इन्हे लत लग गयी है अपनी चमचई कराने का और आप तैयार हैं करने को, तो कीजिए
इन राजनितिक पार्टियों की नियत ही नहीं है कि देश और देशवासी तरक्की करें
इन्हे तो बस मौका मिलता है लूट लेने का तो बस लूट पाट मचा है
तो अब की निति और राजनीती सिर्फ साम्प्रदायिकता है ???क्युकी जिस तरह से मैंने इस लेख में कही शिक्षा का ज़िक्र नहीं किया सरकार भी नहीं कर रही है और लोगो को जाहिल बनाये रख धर्मो में उलझाए रखना चाह रही है
Rafique Ahmad
हलाकि इसका जवाब भी लोगो ने वायरल किया है लेकिन मुझे अभी के हालत को देख कर कुछ जानना और पूछना है
अगर पिछले 60 से कुछ नहीं हुआ है तो फिर मौजूदा सर्कार के पास विकास के कार्य करने के लिए तो हज़ारो चीज़े होंगी, जैसे
सड़के,
विज्ञानं के क्षेत्र में काम,
उपग्रह,
रोज़गार,
गरीबी,
किसानो के लिए स्किम,
गांव के विकास के कार्य ,
सीमा सुरक्षा,
आंतरिक सुरक्षा
आतंकी हमला से सुरक्षा
नक्सली हमला से सुरक्षा
साम्प्रदायिकता से सुरक्षा
और भी बहुत सारी समस्याएं हैं लेकिन मैं ये देख रहा हु कि पिछले दो सालो से सिर्फ
धार्मिक मामलो को हवा देना
गौ रक्षा के नाम पर आतंक को बढ़ावा देना
मंदिर मस्जिद के नाम पर उलटे सीधे बयान देना
धर्म के नाम पर जान लेलेना
गौ मांस के नाम पर किसी की हत्या कर देना
कोई साधु साध्वी किसी दूसरे समुदाय के ऊपर गलत बयान दे देना
धार्मिक असहिष्णुता को बढ़ावा देना
कश्मीर में गरीब जनता के ऊपर गोली चलवाना
निर्दोषो को आतंकवादी बता कर जेल में डाल देना या मार देना
गांव को विकसित करने के नाम पर लाखो करोडो रूपये अनुदान में MP हड़प कर रहे हैं
अगर ये सारी चीज़े चाहिए थी पिछले 60 में तो ऐसी मानसिकता को मैं बीमार बोलूंगा
अगर ऐसा ही चाहिए था तो ऐसी सरकार को अलोकतांत्रिक मानूंगा
हलाकि पिछले बार की सरकार की भी बहुत सारी नीतिया और नियत में खोट रही है लेकिन क्या हम नयी सरकार से यही उम्मीद करने केलिए चुने थे??
अगर इतना कुछ बाकी है तो क्यों देश में साम्प्रदायिकता को हवा देने की कोशिश हो रही है?
क्यों नहीं ये नियत है कि देश में विकास के काम ईमानदारी से हो?
क्यों नहीं रोज़गार बढ़ाने के कार्य हो रहे हैं ?
लेकिन ये सब न करके सिर्फ और सिर्फ हिन्दू मुस्लिम एकता को तोड़ो और राज करो, वाली पालिसी को अपनाया जा रहा है जिससे देश में राज तो कर सकते हैं लेकिन तरक्की नहीं दिला सकते
चाटुकारिता की स्तिथि पैदा करना चाहते हैं ये नेता, काले अँगरेज़ बनना चाहते हैं क्युकी इन्हे लत लग गयी है अपनी चमचई कराने का और आप तैयार हैं करने को, तो कीजिए
इन राजनितिक पार्टियों की नियत ही नहीं है कि देश और देशवासी तरक्की करें
इन्हे तो बस मौका मिलता है लूट लेने का तो बस लूट पाट मचा है
तो अब की निति और राजनीती सिर्फ साम्प्रदायिकता है ???क्युकी जिस तरह से मैंने इस लेख में कही शिक्षा का ज़िक्र नहीं किया सरकार भी नहीं कर रही है और लोगो को जाहिल बनाये रख धर्मो में उलझाए रखना चाह रही है
Rafique Ahmad
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