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Saturday, March 18, 2017

क्यों किसी पार्टी को किसी एक धर्म का समर्थक या दूसरे का विरोधी साबित करने में लगे हो क्रांतिकारियों??

क्यों किसी पार्टी को किसी एक धर्म का समर्थक या दूसरे का विरोधी साबित करने में लगे हो क्रांतिकारियों?? क्या तुम्हारी इस सोच हरकत से लोकतंत्र की आत्मा आहत नहीं होती???

अब ये मत कहना हम तो सिर्फ सोच रहे हैं लेकिन ये पार्टियों वाले तो खुलेआम एक ख़ास समुदाय के विरोध में बोलते हैं या कार्यवाही करते हैं.
तो ऐसे में आपको पढ़ लिख कर या पढ़े लिखे तबके के लोगो से बोलना होगा कि इनके खिलाफ कोर्ट जाएं, अदालत में लोकतंत्र का हवाला देकर उन्हें गलत और अलोकतांत्रिक साबित करें,
सोशल मीडिया में ऐसे बातो को हवा देना ही ऐसे लोगो कि ताक़त बनती है जो इसी मंशा से आपको तंग करते हैं.

दूसरी बात, हिंदुस्तान एक लोकतंत्र है यहाँ कोई पार्टी किसी खास धर्म या समुदाय के नाम पर नहीं चल सकती है तो क्यों कुछ क्रांतिकारी मुसलमान या हिन्दू भाइयो को एक इस तरह से कुछ पार्टियों के छवि को पेश करते हैं जैसे कि वो किसी खास धर्म या समुदाय का पार्टी है??
ये वही हाल है जैसे जिन्ना ने अपने वक़्त में किया था.
आज भी ऐसे कुछ क्रांतिकारियों कि वजह से मुस्लिम को बीजेपी से डराया और किनाराकशी करने की पूरी कोशिश करते हैं,  ठीक उसी तरह से जैसे कुछ बीजेपी समर्थक कांग्रेस को हिन्दू विरोधी या मुस्लिम समर्थक पार्टी साबित करने की कोशिश करते हैं
याद रखे इस देश में जिस सिद्धांत पर कोई पार्टी चलती है आप बस उसी सिद्धांत की बात करे यानी "लोकतांत्रिक सिद्धांत" इसके विरुद्ध अगर कोई चलता है तो उसके लिए कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने लायक भी बनन होगा और ऐसे कई लोग हैं अपने देश में जो लोकतंत्र पर आस्था अपने जीवन से ज़्यादा रखते हैं.

फिर से बोल रहा हूँ कुछ मुस्लिम संगठन या फेसबुकिया क्रांतिकारी आपको अपने पीछे या किसी पार्टी के विरोध में इसी लिए खड़ा कर रहे हैं ताकि वो पार्टी दूसरे समुदाय के नज़दीक खुद ब खुद पहुँच जाए. और इसमें वो कही हद तक कामयाब भी हो गए हैं. जिसका आज असर है उत्तर प्रदेश का चुनाव.

हर पार्टी में अच्छे बुरे लोग हैं जिसे आपको पहचानना होगा या और अपने वोट उन्हें ही देने होंगे वरना आपके जज़्बात के साथ ऐसे ही खेलते रहा जाएगा और मदारी की तरह इधर से उधर नचाते रहा जाएगा

रफ़ीक अहमद

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