Blog Archive

Monday, March 20, 2017

मुझे इस बात से बिलकुल ऐतराज़ नहीं है कि ओवैसि साहब या तोगड़िया या कोई धर्म का इंसान राजनीति में हो या इलेक्शन लड़ता हो, लेकिन...........

मुझे इस बात से बिलकुल ऐतराज़ नहीं है कि ओवैसि साहब या तोगड़िया या कोई धर्म का इंसान राजनीति में हो या इलेक्शन लड़ता हो। 
हमारे देश के संविधान ने ये सुनिश्चित किया है कि सभी कोअपने धर्म का पालन या राजनीति में हिस्सा लेने का अधिकार है। 
दूसरी बात मुझे किसी से सेक्युलर होने का सर्टिफ़िकेट नही चाहिए लेकिन जो सही मुझे लगता है और उससे ज़्यादा देश कि अखंडता के लिए ज़रूरी है उसे सामने रखने और समझाने की कोशिश करता हूँ
भारत में राजनीती करना और ख्याति के लिए एक आसान तरीका हो गया है किसी धर्म विशेष पर घटिया तरीके से टिप्पड़ी करो और फिर रातो रात कट्टर सोच वालो के हीरो बन जाओ और फिर ऐसा लगने लगता है कि देश में ध्रुवीकरण शुरू हो गया जिसमे दोनों समुदाय खुल कर मैदान में उत्तर जाती हैं जो कि  ये देश के लिए बिलकुल भी लाभदायक नहीं है
ओवैसी साहब के राजनीती केंद्र में मुस्लिम हैं और कुछ कट्टरवादी सोच वाली राजनीती पार्टी या संगठन के केंद्र में हिन्दू होते हैं जो कि दोनों #संवैधानिक तरीके से अपने अपने केंद्र की तरफ खीचने की कोशिश भी करते हैं. क्योंकि अगर वो खुल के हिन्दू मुस्लिम की करेंगे तो वहां खुद भारतीय कानून कार्यवाही करने सामने आजाएगी

हमारे देश की जो सर्रचना है उसे समझने की ज़रूरत है, आबादी के #विस्तार को समझने की ज़रूरत है और सबसे ज़्यादा ज़रूरी है हमारे देश की संस्कृति को समझना और अगर आज के ज़माने की ज़रूरत को समझे तो वो देश कभी तरक्की नहीं करता जहाँ आपसी #एकता #सौहार्द #मोहब्बत न हो.
हिंदुस्तान में जातिवाद एक #कटुसत्य है जिसके आधार पर राजनीती होती चली आयी है लेकिन अगर इसी राजनीती का आधार धर्म हो जाए तो ये देश के #अखंडता मजबूती के लिए खतरा है
ओवैसी साहब मुसलमानो को एक होने की बात करते हैं, उधाहरण के तौर मेरे शहर में जहाँ के हर विधानसभा क्षेत्र में आबादी ऐसे है, हिन्दू 60 % , मुस्लिम 20 % तथा अन्य 20 % होंगे. 
देश के लगभग हर क्षेत्र में लगभग यही अनुपात होगा कम य ज़्यादा 
जिस भी क्षेत्र से मुस्लिम उम्मीदवार जीतते हैं ऐसा कभी नहीं हुआ कि उन्हें वोट पूरा एक तरफ़ा एक समुदाय का मिला हो

अब अगर देश के ऐसे क्षेत्र में ओवैसी साहब जाए और मुसलमान के नाम पर वोट मांगे तो क्या उस क्षेत्र के बाकी लोग सेक्युलर बने रहेंगे?? वो भी तो उन्हें ही चुनेंगे जिन्हें वो अपने धर्म का समझते हैं...

आधारभूत बात को समझने की ज़रूरत है कि देश में आबादी का विस्तार सिर्फ एक या दो राज्यो को छोड़ हिन्दू मुस्लिम  सिख की आबादी किसी भी तरह के कट्टरवाद को चुनने के लायक नहीं है, जैसे पंजाब और कश्मीर
अब बात करते हैं कि ओवैसी साहब तो कुछ ही सीट पर चुनाव लड़ते हैं तो बाकी के सीटों पर कैसे कट्टरवाद वाले जितते हैं तो उसका जवाब यही कि उनके हर भाषण, उनके व्यक्तित्व उनके पार्टी के नाम का असर मीडिया के ज़रिये बाकी के जगहों पर  पंहुचा दिया जाता है जिसका पूरा का पूरा फायदा वैसे कट्टरवाद वाले संगठन या नेता को मिल जाता है जो ऐसी ही ध्रुवीकरण की राजनीती पसंद करते हैं 
एक नेता के तौर पर ओवैसी साहब एक बेहतरीन वक़्ता हैं, पढ़े लिखे बेहतरीन बैरिस्टर हैं ,उनके पास अच्छी खासी जानकारी भी है और वो जहाँ से आते हैं वहां की जनता भी उन्हें पसंद करती है लेकिन फिर भी मैं कहना चाहता हूँ कि वो अपने पार्टी के अंदुरुनी सेक्युलरिज़्म तथा लोकतंत्र को ज़िंदा रखते हुए अपने काम को दिखाए और उसी को आधार बना कर बाकी के पार्टियों से सवाल करें,
अपने देश की आबादी अभी लोकतंत्र को अपने हक़ को ही सही से नहीं पहचान पाती तो कैसे अब ये हिन्दू मुस्लिम के ध्रुवीकरण के राजनीती को संभाल सकती है
टूटने में देर नहीं लगेगा देश के एकता के ताना बाना को जिसकी कोशिश कुछ अंधभक्त कर रहे हैं, उन्हें इसके परिणाम का पता नहीं है लेकिन ऐसी कोशिश को रोकने की कोशिश तो सभी को करनी होगी वरना टूटने में कहाँ वक़्त लगता है.
समझिए इस बात को मुझे दिक्कत ओवैसी या योगी जैसो से नहीं है बल्कि जो उनके राजनीती की पालिसी है उससे है,
एक हो जाओ का नारा देने वाला चाहे वो हिन्दू कट्टरवाद हो या मुस्लिम वो जाने अनजाने में दुसरो को भी खिलाफ हो जाने का बढ़ावा दे रहा है... 
याद रखिए जैसा कि मैंने पहले भी कहा है देश में दंगा फसाद का माहौल तभी ख़त्म होगया जब आप जाती धर्म से ऊपर उठ ऐसे उम्मीदवार को चुनेंगे जो ऐसी राजनीती में विश्वास नहीं करता और ईमानदारी से म्हणत करता हो जनता केलिए

रफ़ीक अहमद


No comments:

Post a Comment