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Sunday, June 3, 2018

राहुल और रफीक नामक दो मित्र अलग अलग धर्मो के लोगो के बीच फैलाई जा रही नफरत ....


★मोहब्बत के दंगे★
राहुल और रफीक नामक दो मित्र अलग अलग धर्मो के लोगो के बीच फैलाई जा रही नफरत से परेशान थे। इस नफरत को प्यार मे तब्दील करने के लिए क्या किया जा सकता है उसके बारे में दोनों सोच रहे थे। अचानक ही राहुल रफीक को फेसबुक पर मैसेज करके बतात है कि 'मोहब्बत के दंगे' नाम से एक परिवार है जो अपनी ही तराह एकदूसरो के अंदर मोहब्बत फैलाने की बात करता है और काफी लोग उनसे जुड़े है।
दोनों तुरंत ही उस परिवार के साथ जुड़ जाते है और मोहब्बत का पैगाम फैलाने लगते है। एकदिन दोनों तय करते है कि हम प्रतिदिन अपने फ्रेंडलिस्ट में से एक फ्रेंड को इस परिवार के साथ जोड़ेगे। और दोनों इस सेवा के काम मे जुड़ जाते है।
अगले दिन राहुल अपने फ़्रेंड सुरेश को 'मोहब्बत के दंगे' परिवार के बारे में जानकारी देता है। पर सुरेश ये बोलकर उस परिवार से जुड़ने के लिए मना कर देता है कि "उन लोगो से केसी दोस्ती जो प्रतिदिन देशमे आतंकवाद फैलाते है।"
"ये तू कैसे कह सकता है कि वो लोग आतंकवाद फैलाते है?" राहुल ने कहा।
"पूरा देश जानता है, उसमे कहेने की क्या जरूरत है" सुरेश ने कहा।
राहुल के काफी समजाने के बाद मित्रता की वजह से वो परिवार के साथ जुड़ने को तैयार हो जाता है। और 'मोहब्बत के दंगे' पेज में अपने फेसबुक अकाउंट से रिक्वेस्ट भेजता है।
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दूसरी तरफ रफीक अपने मित्र सुलेमान को 'मोहब्बत के दंगे' के बारे में जानकारी देता है और वो भी सुरेश की तराह मना कर देता है और कहेता है।
"वो लोग हमेशा हमे आतंकवादी समझते है, और उनसे मोहब्बत की उम्मीद नही की जा सकती।"
"अरे! भाई आप एकबार इस परिवार से जुड़कर तो देखो। यहां हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी है। और सभी साथ मिलकर इस नफरत को कम करने का काम करते है और मोहब्बत का पैगाम फैलता है।" रफीक ने सुलेमान को समजाया।
सुलेमान भी दोस्ती के खातिर मना नही कर पाया और 'मोहब्बत के दंगे' परिवार के पेज पर रिक्वेस्ट भेज दी।
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करीबन शाम को सुरेश और सुलेमान को परिवार में जोड़ दिया गया था। दोनोंही 'मोहब्बत के दंगे' परिवार के पेज को टटोल रहे थे। दोनों के मनमे एक दूसरे की कॉम के लिए इतनी नफरत भरी थी कि वो MKD परिवार के पेजमे कुछ ऐसी पोस्ट या कोई ऐसी चीज़ ढूंढ रहे थे, जिससे एक दूसरे कोमके लोगो के साथ गाली-गलौच कर सके। पूरा पेज देख लिया पर ऐसा कुछ नजर नही आया।
पेजकी सभी पोस्ट पे सभी कोमके लोग मिलकर मोहब्बत कैसे फैलाई जाए उसकी चर्चा कर रहे थे, कही हिन्दू भाई मुस्लिम की पोस्ट की तारीफ कर रहा था तो कही मुस्लिम भाई हिन्दू भाई की ग़ज़ल और कविताओं की तारीफ कर रहा था, तो कही सिख भाई हिन्दू-मुस्लिम दोस्तो को अपने घर खाने की दावत दे रहा था।
चाहकर भी दोनों कुछ गलतियां नही निकाल पाए और सोचमे डूब गए कि ये हम कोनसी दुनियामे रह रहे है जहाँ नफरत ही नफरत नजर आ रही है और एक ये परिवार है 'मोहब्बत के दंगे' जहा लोग मोहब्बत फैला रहे है और मिलजुलकर रह रहे है ओर वो भी सोशियल मीडिया पर।
दोनों ने तय किया कि अगर ये सोशियल मीडिया पर मोहब्बत के दंगे भड़का रहे है तो क्यू न हम रियल जिंदगीमें मोहब्बत के दंगे भड़काए। और उन दोनों ने अपने दोस्तों को इस परिवार से जोड़ने का काम शुरू किया।
एक दिन सुरेश अपनी सोसायटी के सामने वाली सोसायटी जहा मुस्लिम बहुल संख्या में रहते थे वह पर खड़े हुवे सुलेमान के पास गया और उसे 'मोहब्बत के दंगे' परिवार के बारे में बताने लगा।
सुलेमान ने पूछा: "तुम्हारा नाम क्या है भाई?"
सुरेश ने कहा: " भाई नाम से क्या मतलब है? हमारा कुछ भी नाम हो, कोई भी धर्म हो, है तो हम इन्शान, और आपकी तसल्ली के लिए बता देता हूं कि मेरा नाम सुरेश है।"
सुलेमान ने कहा: "अरे भाई मेरा नाम पूछने का ये मतलब नही था। में भी इस परिवार से जुड़ा हुवा हु और इसी लिए पूछा, क्योकि कल तुम्हिने मेरी गजल की तारीफ की थी।"
दोनों सोचने लगे कि हमारे बीच कितनी नफरत थी, जबकि सोशियल मीडिया पर तो हम अच्छे फ्रेंड है। दोनों एक दूसरे के गले मिले और वहां खड़ी भीड़ जो ये समझ रही थी कि हमेशा इन दोनों से ही झगड़े की शुरुआत होती है। वो लोग सुरेश और सुलेमान को गले मिलते देखते ही सोचने लगी की ये चमत्कार कैसे हुवा? और दोनों ने साथमे मिलकर मोहब्बत के दंगे भड़काने का और मोहब्बत का पैगाम फैलाने का काम शुरू किया।
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तो दोस्तो ये है 'मोहब्बत के दंगे' की ताकत! जो नफरत को भी मोहब्बत में तब्दील कर सकता है। कुछ लोग और कुछ नेता की राजनीति की वजह से हम आपसमे लड़ते रहते है।जबकि हमे जरूरत है आपस मे प्यार से रहने की, अपने बच्चो को शिक्षित करने की, एक दूसरे का सन्मान करने की, एक दूसरे को व्यवसाय में मदद करने की, अच्छे लोगो को राजनीति में भेजने की जो धर्म की राजनीति न करते हो।
शाम हुई तो, सबेरा भी होना चाहिए।
नफरत बहुत फैला चुके, अब मोहब्बत फैलनी चाहिए।
लेखक: Anish Charm 

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