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Friday, February 16, 2018

हिंदुस्तान पाकिस्तान के बिच अमन संभव तभी है जब राजनैतिक ग़ुलामी से छुटकारा हो

ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि दो देशो के लोगो में दुश्मनी इस कदर हो कि वो जंग करें|
हाँ जंग की बात नेता ज़रूर करते हैं और उनके अंधभक्त जो राजनैतिक रूप से ग़ुलाम होते हैं वही उनकी ज़बान बोलते हैं|
मुझे लगता है दो देशो में तकरार तभी बंद होंगे जब आप अपने देश में अच्छे नेता को चुनेंगे जो प्रोग्रेसिव हो, देश को जोड़ कर मजबूत बनाना जानता हो फिर न झंझट बॉर्डर का होगा न ही किसी तरह की जंग का...
इसलिए पहले अपने अपने देश के अंदरूनी मामले और नेताओ को चुनने की प्रक्रिया को सुधारिए बाद में सारे रिश्ते ठीक हो जाएंगे...

जैसे हिंदुस्तान और पाकिस्तान जिनकी बोली, भाषा, रहन सहन, खान पान, सब एक जैसी है और जनता भी अमन शांति चाहती है लेकिन सिर्फ और सिर्फ अपने देश के अंदुरुनी राजनैतिक मामले, नेता और उनकी घटिया सोच है जो किसी समस्या का समाधान नहीं चाहते हैं इसलिए ये ज़रूरी है कि पहले अपने देश के अंदर के मामले को ठीक किया जाए बाद में स्वतः बॉर्डर पर के समस्या का समाधान निकल जाएगा..
अभी जो भी इसकी कोशिश करेंगे उनकी कोशिश बेकार होगी और उसी घटिया राजनीती की शिकार होगी और ये भी हो सकता है कि आपके ऊपर दूसरे मुल्क परस्त होने का भी इल्जाम लगा दिया जाए|

जंग, देशप्रेम, देशभक्ति का सर्टिफिकेट बाँटना हमेशा से शासन के नाकामी को छुपाने का हथकंडा रहा है जिसे हमारे देश के नेता बखूबी जानते हैं और समय समय पर इसका इस्तेमाल भी करते हैं लेकिन इस बात को ना समझने वाली जानता को कैसे बताएं कि उनके भविष्य और उनके आने वाली नस्ल को दशकों पीछे धकेला जा रहा है किया जा रहा है, उनके ही ऊपर आर्थिक मन्दी का बोझ डाला जा रहा है और जो दुश्मनी का बीज बोकर नेता चले जाएंगे उसका हर्जाना भी हम आम लोगो को ही चुकानी होती है किसी न किसी रूप में|

इसलिए मेरा ये मानना है कि सुधार के लिए पूरी कोशिश ज़रूरी है और उससे ज़्यादा ज़रूरी है सुधार की दिशा ताकि सही मंज़िल तक पंहुचा जा सके 



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