आज जो भारत में घटनाएं घट रही हैं ये किसकी कल्पना है?
भारत के विभाजन से लेकर अखंड भारत की परिकल्पना और छुपी हुई मानसिकता का प्रोपगेंडा बहुत ही शातिराना तरीके से चलाया जा रहा है|
आरएसएस जो ढोल पीटती है कि भारत का विभाजन हुआ वो गाँधी जी और नेहरू जी की वजह से था जिसका विधवा विलाप और ड्रामा आरएसएस जैसी संस्था करती है|
लेकिन आज जिस मानसिकता की वजह से देश में अशांति फ़ैल रही है वही मानसिकता शायद आज़ादी के समय भी रही होगी जो ब्रिटिश सरकार ने बीज बोया था और दो समुदाय के बिच खाई बनाई गयी होगी और असुरक्षा की भावना भरी गयी होगी जिसका परिणाम विभाजन के रूप में दिखा|
हिन्दू मुस्लिम के बिच गौ मांस और सूअर के मांस को मंदिर और मस्जिद में फेंक आपस में लड़वाने और एक दूसरे का दुश्मन बनाने की बीज भले ही ब्रिटिश सरकार ने की हो लेकिन उसे सींचने का काम आरएसएस व हिन्दू महासभा जैसी संस्थाएं कर रही हैं|
पाकिस्तान विभाजन की बात करने और गाँधी जी को गालिया देने वाली ऐसी संस्थाएं जो आज़ाद भारत का पहला आतंवादी गोडसे को पूजते हैं और कहते हैं कि हमें अखंड भारत का सपना देखना है.....
तो मेरा सवाल ये है इस अखंड भारत की परिकल्पना में मुस्लिम ईसाई सिख दलित और आदिवासी होंगे या नहीं??
अगर देश से सभी दूसरे धर्म के लोग ख़त्म हो जाते हैं तो क्या वहां फिर वर्ग व्यवस्था, जातिवाद होगा या नहीं?
और फिर किस आधार पर व्यवस्था चलेगी? संविधान या मनुवाद? या धार्मिक व्यवस्था???
कौन सा देश चला है दुनिया में ऐसे? अगर कोई कोशिश करता है तो क्या वहां खुशहाली है?? सोचिए!!!
अभी की घटनाएं जैसे राजस्थान में हुई उसे देख कर नहीं लगता है की भारत के विभाजन से आरएसएस के विचारको को उस समय थोड़ा भी अफ़सोस हुआ होगा बल्कि ऐसी सोच जहाँ माइनॉरिटी को असुरक्षित महसूस कराने की हो उसे हवा देते होंगे जिसे अंग्रेज़ो ने बोया था|
ये जो लोगो को बेवकूफ बनाने का ढखोसला चल रहा है न वो बहुत ही खतरनाक और शातिराना है जिसका नुसकान सिर्फ और सिर्फ हमारे देश और उसके लोकतांत्रिक व्यवस्था को ही होगा
जब देश को आज़ाद हुए 70 हो गए तो हिन्दू राष्ट्र जैसे छद्म परिकल्पना से लोगो के दिमाग को दूषित करने का काम आरएसएस और उसके जैसे कुछ संस्थाएं कर रही हैं जिसका फल किसी को कुछ नहीं मिलना है|
सोचिए जब दुनिया इस क़दर आगे बढ़ चुकी है, और हमारे पास ऐसे ऐसे बाधाएं हैं जैसे बेरोज़गारी, अशिक्षा, बलात्कार, बढ़ती आपराधिक घटनाएं, इत्यादि लेकिन इन जैसी महत्वपूर्ण बातो पर ध्यान न देकर आज के युवाओ को हिन्दू मुस्लिम में भटकने का काम कर रही है और हमारी सरकार उसमे उसका साथ दे रही है, जो की देश की सम्प्रभुता के लिए कतई सही नहीं है
तो मेरा मकसद सिर्फ ये कहना है जब आज हम एक मजबूत देश बनने का सपना देख रहे हैं लेकिन वहीँ एक छद्म युद्ध अल्पसंख्यक के खिलाफ छेड़ने की मुहीम भी चुपचाप और शातिराना अंदाज़ में चल रहा है जो हमें सिर्फ खोखला बना रही है और दुनिया में कभी एक विकसित देश के रूप में उभरने नहीं देगा
आरएसएस और क्रूर धार्मिक साम्प्रदायिकता वाली सोच रखने वाले लोगो से दूर रहे वरना ये आपके शरीर में नफरत के ऐसे ज़हर घोल देंगे जो आपको कभी एक खुशहाल भविष्य नहीं दे सकता.
दुनिया के कई ऐसे मुल्क हैं और हिटलर जैसे क्रूर शासक जो यहूदी के खिलाफ कदम उठाया तो आज दुनिया से उसका और उसके जैसे सोच को खोज खोज कर सजा दी जा रही है|
ये एक सबक और सिखने की बात है की हमें कैसी परिवेश बनानी है अपने आने पीढ़ियों के लिए जहाँ वो हंसी ख़ुशी से रह सके और अपने जीवन को एक शांत माहौल में जी सके.
आपसी एकता से ही ये संभव है और कहते हैं न "नफरत एक दिमागी बीमारी है" जिसे पनपने देंगे तो एक दिन कैंसर का रूप धारण कर लेगा फिर उसका इलाज ना मुमकिन हो जाएगा.
मोहब्बत के दंगे परिवार हमेशा इस कोशिश में रही है कि आपसी एकता बनी रहे और आगे भी रहेगी
धन्यवाद
जय हिन्द जय भारत
Rafique Ahmad
भारत के विभाजन से लेकर अखंड भारत की परिकल्पना और छुपी हुई मानसिकता का प्रोपगेंडा बहुत ही शातिराना तरीके से चलाया जा रहा है|
आरएसएस जो ढोल पीटती है कि भारत का विभाजन हुआ वो गाँधी जी और नेहरू जी की वजह से था जिसका विधवा विलाप और ड्रामा आरएसएस जैसी संस्था करती है|
लेकिन आज जिस मानसिकता की वजह से देश में अशांति फ़ैल रही है वही मानसिकता शायद आज़ादी के समय भी रही होगी जो ब्रिटिश सरकार ने बीज बोया था और दो समुदाय के बिच खाई बनाई गयी होगी और असुरक्षा की भावना भरी गयी होगी जिसका परिणाम विभाजन के रूप में दिखा|
हिन्दू मुस्लिम के बिच गौ मांस और सूअर के मांस को मंदिर और मस्जिद में फेंक आपस में लड़वाने और एक दूसरे का दुश्मन बनाने की बीज भले ही ब्रिटिश सरकार ने की हो लेकिन उसे सींचने का काम आरएसएस व हिन्दू महासभा जैसी संस्थाएं कर रही हैं|
पाकिस्तान विभाजन की बात करने और गाँधी जी को गालिया देने वाली ऐसी संस्थाएं जो आज़ाद भारत का पहला आतंवादी गोडसे को पूजते हैं और कहते हैं कि हमें अखंड भारत का सपना देखना है.....
तो मेरा सवाल ये है इस अखंड भारत की परिकल्पना में मुस्लिम ईसाई सिख दलित और आदिवासी होंगे या नहीं??
अगर देश से सभी दूसरे धर्म के लोग ख़त्म हो जाते हैं तो क्या वहां फिर वर्ग व्यवस्था, जातिवाद होगा या नहीं?
और फिर किस आधार पर व्यवस्था चलेगी? संविधान या मनुवाद? या धार्मिक व्यवस्था???
कौन सा देश चला है दुनिया में ऐसे? अगर कोई कोशिश करता है तो क्या वहां खुशहाली है?? सोचिए!!!
अभी की घटनाएं जैसे राजस्थान में हुई उसे देख कर नहीं लगता है की भारत के विभाजन से आरएसएस के विचारको को उस समय थोड़ा भी अफ़सोस हुआ होगा बल्कि ऐसी सोच जहाँ माइनॉरिटी को असुरक्षित महसूस कराने की हो उसे हवा देते होंगे जिसे अंग्रेज़ो ने बोया था|
ये जो लोगो को बेवकूफ बनाने का ढखोसला चल रहा है न वो बहुत ही खतरनाक और शातिराना है जिसका नुसकान सिर्फ और सिर्फ हमारे देश और उसके लोकतांत्रिक व्यवस्था को ही होगा
जब देश को आज़ाद हुए 70 हो गए तो हिन्दू राष्ट्र जैसे छद्म परिकल्पना से लोगो के दिमाग को दूषित करने का काम आरएसएस और उसके जैसे कुछ संस्थाएं कर रही हैं जिसका फल किसी को कुछ नहीं मिलना है|
सोचिए जब दुनिया इस क़दर आगे बढ़ चुकी है, और हमारे पास ऐसे ऐसे बाधाएं हैं जैसे बेरोज़गारी, अशिक्षा, बलात्कार, बढ़ती आपराधिक घटनाएं, इत्यादि लेकिन इन जैसी महत्वपूर्ण बातो पर ध्यान न देकर आज के युवाओ को हिन्दू मुस्लिम में भटकने का काम कर रही है और हमारी सरकार उसमे उसका साथ दे रही है, जो की देश की सम्प्रभुता के लिए कतई सही नहीं है
तो मेरा मकसद सिर्फ ये कहना है जब आज हम एक मजबूत देश बनने का सपना देख रहे हैं लेकिन वहीँ एक छद्म युद्ध अल्पसंख्यक के खिलाफ छेड़ने की मुहीम भी चुपचाप और शातिराना अंदाज़ में चल रहा है जो हमें सिर्फ खोखला बना रही है और दुनिया में कभी एक विकसित देश के रूप में उभरने नहीं देगा
आरएसएस और क्रूर धार्मिक साम्प्रदायिकता वाली सोच रखने वाले लोगो से दूर रहे वरना ये आपके शरीर में नफरत के ऐसे ज़हर घोल देंगे जो आपको कभी एक खुशहाल भविष्य नहीं दे सकता.
दुनिया के कई ऐसे मुल्क हैं और हिटलर जैसे क्रूर शासक जो यहूदी के खिलाफ कदम उठाया तो आज दुनिया से उसका और उसके जैसे सोच को खोज खोज कर सजा दी जा रही है|
ये एक सबक और सिखने की बात है की हमें कैसी परिवेश बनानी है अपने आने पीढ़ियों के लिए जहाँ वो हंसी ख़ुशी से रह सके और अपने जीवन को एक शांत माहौल में जी सके.
आपसी एकता से ही ये संभव है और कहते हैं न "नफरत एक दिमागी बीमारी है" जिसे पनपने देंगे तो एक दिन कैंसर का रूप धारण कर लेगा फिर उसका इलाज ना मुमकिन हो जाएगा.
मोहब्बत के दंगे परिवार हमेशा इस कोशिश में रही है कि आपसी एकता बनी रहे और आगे भी रहेगी
धन्यवाद
जय हिन्द जय भारत
Rafique Ahmad

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