आप कैसी राजनीती देखना चाहते हैं??
ये एक ऐसा सवाल है जो गर्मागर्म हमेशा एक बहस का कारन बना रहा है| राजनीती एक ऐसा शब्द है जिसकी परिभाषा जगह, परिवेश और लोगो के सोच के हिसाब से बदलती रहती है|
राजनीती की पाठ हम कृष्ण जी का अर्जुन के लिए और हज़रत अली के शासन से लेकर आज के परिवेश की राजनीती से देखते सुनते और पढ़ते आये हैं|
लेकिन क्या हमने सोचा है आज की राजीनीति और वो भी हमारे देश के परिवेश में कैसी होनी चाहिए?
हमारे शहरो और ग्रामीण क्षेत्रो में कैसी होनी चाहिए?
समाज के अंदर रहने वालो की सोच राजनीती के लिए कैसे बदलती है???
इसी बारे में एक सामाजिक कार्यकर्त्ता और राजनीती में रूचि और सुधार के समर्थन श्री गुफरान मोहम्मद से बातचीत हुई जो बिहार के गोपालगंज के रहने वाले हैं
उनसे जब पूछा गया कि राजनीती आपके नज़र में क्या है और सुधार की कितनी गुंजाइश है?
गुफरान भाई कहते हैं:- राजनीती एक प्रक्रिया को कहते हैं जिससे समाज में लगातार सुधार और देश के विकास में गति मिलती है, राजनीती एक ऐसा चक्र है जिसका इस्तेमाल सामाजिक बुराई को ख़त्म करने और द्विपक्षीय वार्तालाप पर आधारित समाधान का पक्षधर होना चाहिए
राजनीति मेरी नज़र में देश के हर नागरिक को फायदा पहुचाये चाहे वो गरीब से गरीब हो या अमीर
जहाँ तक रही बात इसमें सुधार की तो सुधर की गुंजाइश हर क्षेत्र में होती है, और राजनीती तो है ही एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें सुधार हर पल होते रहना चाहिए और ये समझने की ज़रूरत है कि राजनीती कोई लिखी हुई किताब नहीं जिसपर सबको चलना है बल्कि ये व्यक्तिविशेष के प्रयास और उसके द्वारा उस प्रयास को समर्थन देना है जिसमे सबका भला दिखे.
मेरा मानना है भारत जैसा युवा देश जहाँ इतनी संभावनाएं हैं, जहाँ इतनी इच्छाएं हैं कि वहां अगर सकारात्मक सोच वाली राजनीती नहीं की गयी तो देश की गति जो है वो उलटे दिशा में बढ़ने लगेगी यानी देश में विकास की जगह लोगो के नुक्सान को बढ़ावा मिलेगा|
राजनीती हमेशा से एक माध्यम रही है वार्तालाप की जिसमे एक नेता जो देश की ज़रूरतों के लिए जनता से वार्तालाप करता है और उनके ज़रूरतों को पूरा करने के लिए प्रयासरत होकर नियम कानून तैयार करता है ताकि सबिह को फायदा मिल सके|
राजनीती एक डायलाग रही है जो गाँधी जी ने अंग्रेज़ो से किया और एक सकारात्मक रिजल्ट के साथ देश को नियम क़ानूओं और संविधान पर चलने की प्रेरणा दी|
राजनीती एक विकसित सोच रही है जो नेहरू जी ने देश के सामने रखा
राजनीती एक संघर्ष भी रही है जो सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह, सुखदेव सिंह जैसो ने लड़ी देश की आज़ादी के लिए..
तो मेरा मानना है की राजनीती हमेशा सकारात्मक होनी चाहिए और देश के हर जनता के भलाई के लिए होनी चाहिए जिसके केंद्र में मानवता की सोच पनपनी चाहिए
आज जो हमें राजनीती दिखती है वो राजनीती नहीं वो चालबाज़ी है जो शासन करने और राज करने की लालच दिखाती है..
आज हमारे नेताओ के अंदर वो विज़न , सोच नहीं है कि हमें अपने प्रयास से हरेक व्यक्ति को कैसे और क्यों फायदा पहुँचाना चाहिए|
हमें ये समझना होगा कि राजनीती का मतलब एक सोच को दूसरे सोच सही या गलत बताना नहीं बल्कि हर सोच किस तरह से विकास और मानवता के स्तम्भ को मजबूत करता है उसे लोगो के बिच पहुँचाना है,
आज की राजनीती देश में युवाओ को भटकाने और उन्हें कोई रास्ता बताने में सक्षम नहीं हो पा रही है
देश क्या उस घर का भी विकास संभव नहीं है जहाँ किसी तरह का मकसद न हो, सकारात्मक मकसद जिसमे सभी को साथ ले चलने की ललक हो सबके दुःख सुख में शामिल होने की ललक दिखनी चाहिए और उनके एक ऐसे माहौल को बनाना जिसे वो जी सके, शांति और ख़ुशी के साथ ...
मेरा मानना है राजनीती में हर युवा का साथ होना और उन्हें रास्ता दिखाने का कार्य सर्वप्रथम होना चाहिए, क्युकी हर एक युवा एक उस नीव की ईंट की तरह है जिसके ऊपर एक बिल्डिंग खड़ी होगी जिसे हम विश्वगुरु और विकसित देश के नाम से भी जानते हैं|
मैंने हमेशा यही प्रयास किया है कि सबको साथ लेकर हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सब हैं भाई भाई की लाइन पर चल सबके विकास के लिए काम करूँ,
मेरे पास कई ऐसे प्रोजेक्ट हैं जिनको मैं गोपालगंज में लागू करना चाहता हूँ जिसे पुरे युवा शक्ति की मदद से एक बड़े बदलाव के साथ साथ रोजगार की भी गारंटी दे सकता हूँ|
अगर मेरी कोशिश राजनीती सुधार की है तो मैं ये लोगो को जागरूक होने की सलाह ज़रूर दूंगा कि नेता से ज़्यादा आप अपने पसंद को सुधारे और काम ईमानदारी और छवि के आधार पर ही वोट दें,
क्योंकि जब आप एक नेता चुनते हैं या उसका समर्थन करते हैं वो आपके भी छवि को दर्शाता है यानी अगर आप एक क्रिमिनल को चुनते हैं तो ये आपके भी छवि को बताता है कि आप एक आपराधिक मानसिकता वाले हैं|
वहीँ अगर आप एक ईमानदार और जनता के भलाई के लिए काम करने वाले को चुनते हैं तो इससे ये भी साबित होता है कि आपकी सोच ईमानदार और सच्ची है... नेता आपके आइना होते हैं जिसमे आपकी छवि दिखती है ...
मैंने आम आदमी पार्टी के कार्यो को बड़े करीब से देखा है और उनके जन्म के समय से जुड़ा हूँ, ताकि उनके कार्य करने की सलीके पर नज़र रख समझ सकू कि इनके कार्य करने का क्या तरीका है| मैंने अब तक इनके राजनीती को समाज के लिए सकारात्मक पाया है, इनके राजनीती में साम्प्रदायिकता वाली सोच नज़र नहीं आती बल्कि सबके साथ और विकास के फार्मूला पर अमल ही दिखा है अभी तक...
तो मेरा मानना है कि राजनीती हमेशा समाज और समाज में अंदर रहने वाले लोगो के सोच पर निर्भर करती है क्योंकि नेता एक बार धोखा दे सकता है लेकिन अगर बार बार उसे आपका वोट मिले तो वहां नेता को नहीं बल्कि जनता को सिखने की और समझने की ज़रूरत है...
जिस बात को मैं कह रहा हूँ मैं खुद उसपर कार्यरत हूँ यानी हमें जिसके विकास और जिसकी मदद करनी है उसके लिए खुद आगे आना होगा और बढ़चढ़ कर हिस्सा लेना होगा.
हाल ही में मैं गोपालगंज के नौजवानो के उत्साह को देखा था जिन्होंने बाढ़ रहत कार्य में कदम से कदम मिला कर चल रहे थे जिनके हिम्मत जज़्बे को देख ऐसा लग रहा था शायद अगर चीन पर चढ़ाई भी करनी पड़ती तो हम जित कर ही आते|
इसके अलावा मैं खुद कई ऐसे गैर सरकारी संस्थानों से जुड़ा हूँ जो देश से लेकर विदेश तक, देश की भलाई के लिए कार्य करते हैं और मैं खुद को खुशनसीब मानता हूँ कि मुझे ऐसे नौजवानो का साथ मिलता है जो देश की शक्ति हैं जिनमे देश के हर हालात से लड़ने और बदलने की क्षमता है
धन्यवाद,
Ghufran Mohammad
MLA उम्मीदवार
गोपालगंज
ये एक ऐसा सवाल है जो गर्मागर्म हमेशा एक बहस का कारन बना रहा है| राजनीती एक ऐसा शब्द है जिसकी परिभाषा जगह, परिवेश और लोगो के सोच के हिसाब से बदलती रहती है|
राजनीती की पाठ हम कृष्ण जी का अर्जुन के लिए और हज़रत अली के शासन से लेकर आज के परिवेश की राजनीती से देखते सुनते और पढ़ते आये हैं|
लेकिन क्या हमने सोचा है आज की राजीनीति और वो भी हमारे देश के परिवेश में कैसी होनी चाहिए?
हमारे शहरो और ग्रामीण क्षेत्रो में कैसी होनी चाहिए?
समाज के अंदर रहने वालो की सोच राजनीती के लिए कैसे बदलती है???
इसी बारे में एक सामाजिक कार्यकर्त्ता और राजनीती में रूचि और सुधार के समर्थन श्री गुफरान मोहम्मद से बातचीत हुई जो बिहार के गोपालगंज के रहने वाले हैं
Mohammad Ghufran
गुफरान भाई कहते हैं:- राजनीती एक प्रक्रिया को कहते हैं जिससे समाज में लगातार सुधार और देश के विकास में गति मिलती है, राजनीती एक ऐसा चक्र है जिसका इस्तेमाल सामाजिक बुराई को ख़त्म करने और द्विपक्षीय वार्तालाप पर आधारित समाधान का पक्षधर होना चाहिए
राजनीति मेरी नज़र में देश के हर नागरिक को फायदा पहुचाये चाहे वो गरीब से गरीब हो या अमीर
जहाँ तक रही बात इसमें सुधार की तो सुधर की गुंजाइश हर क्षेत्र में होती है, और राजनीती तो है ही एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें सुधार हर पल होते रहना चाहिए और ये समझने की ज़रूरत है कि राजनीती कोई लिखी हुई किताब नहीं जिसपर सबको चलना है बल्कि ये व्यक्तिविशेष के प्रयास और उसके द्वारा उस प्रयास को समर्थन देना है जिसमे सबका भला दिखे.
मेरा मानना है भारत जैसा युवा देश जहाँ इतनी संभावनाएं हैं, जहाँ इतनी इच्छाएं हैं कि वहां अगर सकारात्मक सोच वाली राजनीती नहीं की गयी तो देश की गति जो है वो उलटे दिशा में बढ़ने लगेगी यानी देश में विकास की जगह लोगो के नुक्सान को बढ़ावा मिलेगा|
राजनीती हमेशा से एक माध्यम रही है वार्तालाप की जिसमे एक नेता जो देश की ज़रूरतों के लिए जनता से वार्तालाप करता है और उनके ज़रूरतों को पूरा करने के लिए प्रयासरत होकर नियम कानून तैयार करता है ताकि सबिह को फायदा मिल सके|
राजनीती एक डायलाग रही है जो गाँधी जी ने अंग्रेज़ो से किया और एक सकारात्मक रिजल्ट के साथ देश को नियम क़ानूओं और संविधान पर चलने की प्रेरणा दी|
राजनीती एक विकसित सोच रही है जो नेहरू जी ने देश के सामने रखा
राजनीती एक संघर्ष भी रही है जो सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह, सुखदेव सिंह जैसो ने लड़ी देश की आज़ादी के लिए..
आज जो हमें राजनीती दिखती है वो राजनीती नहीं वो चालबाज़ी है जो शासन करने और राज करने की लालच दिखाती है..
आज हमारे नेताओ के अंदर वो विज़न , सोच नहीं है कि हमें अपने प्रयास से हरेक व्यक्ति को कैसे और क्यों फायदा पहुँचाना चाहिए|
हमें ये समझना होगा कि राजनीती का मतलब एक सोच को दूसरे सोच सही या गलत बताना नहीं बल्कि हर सोच किस तरह से विकास और मानवता के स्तम्भ को मजबूत करता है उसे लोगो के बिच पहुँचाना है,
आज की राजनीती देश में युवाओ को भटकाने और उन्हें कोई रास्ता बताने में सक्षम नहीं हो पा रही है
देश क्या उस घर का भी विकास संभव नहीं है जहाँ किसी तरह का मकसद न हो, सकारात्मक मकसद जिसमे सभी को साथ ले चलने की ललक हो सबके दुःख सुख में शामिल होने की ललक दिखनी चाहिए और उनके एक ऐसे माहौल को बनाना जिसे वो जी सके, शांति और ख़ुशी के साथ ...
मेरा मानना है राजनीती में हर युवा का साथ होना और उन्हें रास्ता दिखाने का कार्य सर्वप्रथम होना चाहिए, क्युकी हर एक युवा एक उस नीव की ईंट की तरह है जिसके ऊपर एक बिल्डिंग खड़ी होगी जिसे हम विश्वगुरु और विकसित देश के नाम से भी जानते हैं|
मैंने हमेशा यही प्रयास किया है कि सबको साथ लेकर हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सब हैं भाई भाई की लाइन पर चल सबके विकास के लिए काम करूँ,
मेरे पास कई ऐसे प्रोजेक्ट हैं जिनको मैं गोपालगंज में लागू करना चाहता हूँ जिसे पुरे युवा शक्ति की मदद से एक बड़े बदलाव के साथ साथ रोजगार की भी गारंटी दे सकता हूँ|
अगर मेरी कोशिश राजनीती सुधार की है तो मैं ये लोगो को जागरूक होने की सलाह ज़रूर दूंगा कि नेता से ज़्यादा आप अपने पसंद को सुधारे और काम ईमानदारी और छवि के आधार पर ही वोट दें,
क्योंकि जब आप एक नेता चुनते हैं या उसका समर्थन करते हैं वो आपके भी छवि को दर्शाता है यानी अगर आप एक क्रिमिनल को चुनते हैं तो ये आपके भी छवि को बताता है कि आप एक आपराधिक मानसिकता वाले हैं|
वहीँ अगर आप एक ईमानदार और जनता के भलाई के लिए काम करने वाले को चुनते हैं तो इससे ये भी साबित होता है कि आपकी सोच ईमानदार और सच्ची है... नेता आपके आइना होते हैं जिसमे आपकी छवि दिखती है ...
मैंने आम आदमी पार्टी के कार्यो को बड़े करीब से देखा है और उनके जन्म के समय से जुड़ा हूँ, ताकि उनके कार्य करने की सलीके पर नज़र रख समझ सकू कि इनके कार्य करने का क्या तरीका है| मैंने अब तक इनके राजनीती को समाज के लिए सकारात्मक पाया है, इनके राजनीती में साम्प्रदायिकता वाली सोच नज़र नहीं आती बल्कि सबके साथ और विकास के फार्मूला पर अमल ही दिखा है अभी तक...
तो मेरा मानना है कि राजनीती हमेशा समाज और समाज में अंदर रहने वाले लोगो के सोच पर निर्भर करती है क्योंकि नेता एक बार धोखा दे सकता है लेकिन अगर बार बार उसे आपका वोट मिले तो वहां नेता को नहीं बल्कि जनता को सिखने की और समझने की ज़रूरत है...
जिस बात को मैं कह रहा हूँ मैं खुद उसपर कार्यरत हूँ यानी हमें जिसके विकास और जिसकी मदद करनी है उसके लिए खुद आगे आना होगा और बढ़चढ़ कर हिस्सा लेना होगा.
हाल ही में मैं गोपालगंज के नौजवानो के उत्साह को देखा था जिन्होंने बाढ़ रहत कार्य में कदम से कदम मिला कर चल रहे थे जिनके हिम्मत जज़्बे को देख ऐसा लग रहा था शायद अगर चीन पर चढ़ाई भी करनी पड़ती तो हम जित कर ही आते|
इसके अलावा मैं खुद कई ऐसे गैर सरकारी संस्थानों से जुड़ा हूँ जो देश से लेकर विदेश तक, देश की भलाई के लिए कार्य करते हैं और मैं खुद को खुशनसीब मानता हूँ कि मुझे ऐसे नौजवानो का साथ मिलता है जो देश की शक्ति हैं जिनमे देश के हर हालात से लड़ने और बदलने की क्षमता है
धन्यवाद,
Ghufran Mohammad
MLA उम्मीदवार
गोपालगंज







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