भारत को क्रूड आयल की कमी को पूरी करने की खोज जारी रखना चाहिए
BP (ब्रिटिश पेट्रोलियम) के एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में जो अभी क्रूड आयल रिज़र्व हैं उससे 50 से 60 साल तक धरती पर इस्तेमाल कर सकते हैं
भारत पिछले कई सालों से OPEC (Organization of Petroleum Exporting Countries) देशो से क्रूड आयल खरीदता रहा है, एशिया में भारत और चीन ऐसे देश हैं जिन्हे यूरोप से ज़्यादा दाम देने पड़ते हैं ये जानते हुए भी कि भारत में गरीबी और कई ऐसे समस्या हैं जिनसे लड़ना है.
भारत ने ये एक अच्छा कदम उठाया कि अपने क्रूड आयल की कमी को पूरा करने के लिए एक और ऑप्शन खोज निकाला यानि अमेरिका से बिज़नेस को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया.
भारत को लगभत 10 से 15 प्रतिशत ज़्यादा दाम देने पड़ते थे OPEC देशो से तेल लेने की वजह से.
कुछ जानकार ये भी कह रहे हैं कि भारत के इस कदम से हमारे रिश्ते कुछ ऐसे देशो से ख़राब होंगे जैसे ईरान इराक जिन्होंने भारत को हर समय साथ दिया और एक वक़्त ऐसा भी था जब इराक ने रूपये के बदले पेट्रोल दिया.
अमेरिका ने 1975 के बाद से आयल एक्सपोर्ट करना बंद कर दिया था जो कि ये पहला शिपमेंट कह सकते हैं जो इतने बड़े पैमाने पर है इससे दोनों देशो के बिच रिश्ते भी सुधरेंगे.
अमेरिका भी चाहता है भारत ट्रेड के रिश्ते को सुधारने के लिए कुछ कदम उठाये- जिसके लिए भारत ने ये कदम उठाया और अमेरिका ने भी रेट 2 $ प्रति बैरल सस्ता दिया
क्युकी भारत एक बड़ा CONSUMER है जिसे ज़्यादा क्रूड आयल की ज़रूरत है इसलिए भारत अपने ऑप्शन को बढ़ा रहा है जो कि एक अच्छा कदम है
भारत ने पहली शिपमेंट (MT New Prosperity) 1.6 मिलियन बैरल क्रूड आयल अभी प्राप्त की है जो कि पारादीप पोर्ट उड़ीसा पर आया. क्रूड आयल जो अमेरिका से आया है वो भारत के चार रिफाइनरी से होकर गुज़रेगा जिसमे से एक रिफाइनरी बिहार के बरौनी में भी है
भारत की इकोनोमिकल कंडीशन सुधारने के लिए ऐसे कई कदम उठाने की ज़रूरत है लेकिन इस बात का ख्याल भी रहे की हमें दुनिया के विकासशील देशो से अपने रिश्ते भी ठीक रखने हैं क्युकी दुनिया के हर देश में भारत के नागरिक हैं जहाँ से वो देश का नाम रौशन कर रहे हैं
लेकिन एक बात मैं यहाँ बड़े मजबूती के साथ कहना चाहूंगा कि ओपेक को "एशियाई प्रीमियम" ख़त्म करना चाहिए वरना भारत और भी दूसरे मार्केट की तलाश कर सकता है
Rafique Ahmad
BP (ब्रिटिश पेट्रोलियम) के एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में जो अभी क्रूड आयल रिज़र्व हैं उससे 50 से 60 साल तक धरती पर इस्तेमाल कर सकते हैं
भारत पिछले कई सालों से OPEC (Organization of Petroleum Exporting Countries) देशो से क्रूड आयल खरीदता रहा है, एशिया में भारत और चीन ऐसे देश हैं जिन्हे यूरोप से ज़्यादा दाम देने पड़ते हैं ये जानते हुए भी कि भारत में गरीबी और कई ऐसे समस्या हैं जिनसे लड़ना है.
भारत ने ये एक अच्छा कदम उठाया कि अपने क्रूड आयल की कमी को पूरा करने के लिए एक और ऑप्शन खोज निकाला यानि अमेरिका से बिज़नेस को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया.
भारत को लगभत 10 से 15 प्रतिशत ज़्यादा दाम देने पड़ते थे OPEC देशो से तेल लेने की वजह से.
कुछ जानकार ये भी कह रहे हैं कि भारत के इस कदम से हमारे रिश्ते कुछ ऐसे देशो से ख़राब होंगे जैसे ईरान इराक जिन्होंने भारत को हर समय साथ दिया और एक वक़्त ऐसा भी था जब इराक ने रूपये के बदले पेट्रोल दिया.
अमेरिका ने 1975 के बाद से आयल एक्सपोर्ट करना बंद कर दिया था जो कि ये पहला शिपमेंट कह सकते हैं जो इतने बड़े पैमाने पर है इससे दोनों देशो के बिच रिश्ते भी सुधरेंगे.
अमेरिका भी चाहता है भारत ट्रेड के रिश्ते को सुधारने के लिए कुछ कदम उठाये- जिसके लिए भारत ने ये कदम उठाया और अमेरिका ने भी रेट 2 $ प्रति बैरल सस्ता दिया
क्युकी भारत एक बड़ा CONSUMER है जिसे ज़्यादा क्रूड आयल की ज़रूरत है इसलिए भारत अपने ऑप्शन को बढ़ा रहा है जो कि एक अच्छा कदम है
भारत ने पहली शिपमेंट (MT New Prosperity) 1.6 मिलियन बैरल क्रूड आयल अभी प्राप्त की है जो कि पारादीप पोर्ट उड़ीसा पर आया. क्रूड आयल जो अमेरिका से आया है वो भारत के चार रिफाइनरी से होकर गुज़रेगा जिसमे से एक रिफाइनरी बिहार के बरौनी में भी है
भारत की इकोनोमिकल कंडीशन सुधारने के लिए ऐसे कई कदम उठाने की ज़रूरत है लेकिन इस बात का ख्याल भी रहे की हमें दुनिया के विकासशील देशो से अपने रिश्ते भी ठीक रखने हैं क्युकी दुनिया के हर देश में भारत के नागरिक हैं जहाँ से वो देश का नाम रौशन कर रहे हैं
लेकिन एक बात मैं यहाँ बड़े मजबूती के साथ कहना चाहूंगा कि ओपेक को "एशियाई प्रीमियम" ख़त्म करना चाहिए वरना भारत और भी दूसरे मार्केट की तलाश कर सकता है
Rafique Ahmad

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