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Sunday, January 22, 2017

क्या हम हम विकसित हो रहे हैं या बस रेंग रहे हैं ?

मुझे ये समझ नहीं आ रहा है अपने देश की पोलिटिकल पार्टिया क्या सिर्फ आपस में प्रतिद्वंदी की तरह युद्ध ही करेंगी और आम जनता को भटका कर रखेगी? 
या फिर कभी इस बात पर भी बात हो की किस सरकार ने देश में कितनी बेरोज़गारी, गरीबी, भुखमरी दूर की
कभी इस पर भी बात हो कि देश के किसान कभी आत्महत्या न करें, 
कभी इस पर भी बात हो कि सांप्रदायिक दंगे फसाद न हो

और सिर्फ बात ही नहीं कभी इसकी कोशिश अपने पार्टी, धर्म जा पात की लड़ाई से ऊपर उठ कर भी की जाए तब तो माना जाएगा की हम एक आज़ाद हिंदुस्तान के नागरिक हैं जो विकसित होने के डगर पर अपने रफ़्तार से  दौड़ रहा है वरना हम तो जातपात , धर्म की लड़ाई जैसे बंदिशों के साथ रेंग रहे हैं.

Rafique Ahmad

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