उम्मह के लिए ख़ूब रोएँगे
पड़ोसी भूखा सोएँगे
उम्मह के लिए ख़ूब रोएँगे
रिश्तेदारों के लिए बुरा सोचेंगे
उम्मह के लिए ख़ूब रोएँगे
पड़ोसी से सालों साल बात नहीं करेंगे
उम्मह के लिए ख़ूब रोएँगे
फ़िरक़ा के नाम पर ख़ून रेजी करेंगे
उम्मह के लिए ख़ूब रोएँगे
एक ग़रीब के बच्चे को सरकारी स्कूल तक नहीं पहुँचाएँगे
उम्मह के लिए ख़ूब रोएँगे
आपसी थोड़े से झगड़े पर बंदूक़ निकलेंगे
उम्मह के लिए ख़ूब रोएँगे
ज़मीन के लिए रिश्तेदारों से कोर्ट केस लड़ेंगे
उम्मह के लिए ख़ूब रोएँगे
ज़कात निकालने में पचास बहाने निकलेंगे
उम्मह के लिए ख़ूब रोएँगे
सड़क चलते आवार्गी भी करेंगे
उम्मह के लिए ख़ूब रोएँगे
और माँ बाप को भी रुलाएँगे
बस करो भाई अपने आँसू बचा कर रखो आगे भी काम आएगा
रफ़ीक अहमद
पड़ोसी भूखा सोएँगे
उम्मह के लिए ख़ूब रोएँगे
रिश्तेदारों के लिए बुरा सोचेंगे
उम्मह के लिए ख़ूब रोएँगे
पड़ोसी से सालों साल बात नहीं करेंगे
उम्मह के लिए ख़ूब रोएँगे
फ़िरक़ा के नाम पर ख़ून रेजी करेंगे
उम्मह के लिए ख़ूब रोएँगे
एक ग़रीब के बच्चे को सरकारी स्कूल तक नहीं पहुँचाएँगे
उम्मह के लिए ख़ूब रोएँगे
आपसी थोड़े से झगड़े पर बंदूक़ निकलेंगे
उम्मह के लिए ख़ूब रोएँगे
ज़मीन के लिए रिश्तेदारों से कोर्ट केस लड़ेंगे
उम्मह के लिए ख़ूब रोएँगे
ज़कात निकालने में पचास बहाने निकलेंगे
उम्मह के लिए ख़ूब रोएँगे
सड़क चलते आवार्गी भी करेंगे
उम्मह के लिए ख़ूब रोएँगे
और माँ बाप को भी रुलाएँगे
बस करो भाई अपने आँसू बचा कर रखो आगे भी काम आएगा
रफ़ीक अहमद
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