मेरे जैसे कई नौजवान देश में "अमन शांति की कोशिश और दंगा" जैसे बीमारियों को देश से ख़त्म करने की कोशिश कर रहा है आज सरकार के द्वारा उठाये गए कदम जो 500 और 1000 के नोटबंदी है उसे एक फेलियर/असफल मानती है.
नोटबंदी कालाधन से लड़ने का एकमात्र रास्ता नहीं हो सकता
देश में पैसे के सरकारी लेनदेन को प्लास्टिक पैसे में बदल देने से काफी हद तक पैसे की चोरी रुक सकती है, देश के हर बड़े संस्थानों जैसे सरकारी ऑफिस, सरकारी बिजली ऑफिस, हॉस्पिटल, स्कूल, बैंक, ड्राइविंग लाइसेंस सेण्टर, और जितने भी दफ्तर हैं वहाँ कैश से लेन देन को पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए,
और ऐसी संस्था के पास एक डेबिट कार्ड की तरह कार्ड मुहय्या कराने के लिए ऑफिस बना देना चाहिए जो फ़ौरन किसी व्यक्ति को कार्ड बना कर दे सके और पैेसे उनके अकाउंट में जमा कर उस कार्ड को फौरी तौर पर इस्तेमाल करने के लायक बना सके.
ये व्यस्था दुनिया के बहुत सारे विकसित देशो में काफी सफलता के साथ चल रही है
नोटबंदी भी एक रास्ता है जिसके ज़रिये कालाधन और जाली नोट जैसे समस्याओ से लड़ने में मदद मिलती है लेकिन इसकी तैयारी भी उसी स्तर पर होनी चाहिए.
सवा सौ करोड़ की जनसँख्या वाले देश में बिना सही तैयारी तथा प्लानिंग के कार्य कभी सफल नहीं होंगे और उसका नुक्सान और परेशानी आम जनता को ही उठाना पड़ता है
जिस प्रकार नोटबंदी की घोषणा की गयी वो काफी जल्दबाज़ी में लिया गया फैसला था और अगर फैसला ले लिया गया था तो इसकी तयारी क्यों नहीं की गयी?
100 करोड़ की आबादी रोज़ के कमाए गए पैसे पर निर्भर होते हैं और अचानक से उनके पास पैसे की किल्लत हो जाती है, फिर भी लोग ये समझ कर संयम के साथ बैंक और ATM मशीन के सामने खड़े कि ये सरकार द्वारा उठाया गया कदम देशहित में है लेकिन उनके सब्र शायद ज़्यादा दिनों तक नहीं टिकेंगे.
हर रोज़ देश के किसी कोने से किसी के मौत की खबर आ रही है जिससे लोगो में गुस्सा और बेचैनी बढ़ते जा रही है
उसी बिच पैसो का खत्म हो जाना बहुत सारे बैंक और एटीएम का काम नहीं करना ये सब एक फैक्टर है जो लोगो को परेशान कर रहा है.
और अभी अभी सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी केंद्र सरकार को दी गयी है कि देश में गली चौराहों पर इस परेशानी और गुस्से में लोग एक दूसरे के साथ लड़ भीड़ सकते हैं, दंगे हो सकते हैं.
ऐसी स्तिथि में केंद्र सरकार को चाहिए कि एक आपातकाल बैठक में सभी राज्य के मुख्यमंत्री को आमंत्रित कर उनके द्वारा सुरक्षा की गारंटी लें और कानून व्यवस्था को बनाये रखने के लिए भरपूर कोशिश और मदद लें.
सरकार का रवय्या और राज्य सरकार के साथ सही तालमेल देश में बड़े हादसों को ताल सकता है.
आखिर में एक बात कहना चाहूंगा कि "फैसला सही लेकिन तरीका बिलकुल गलत"
नोटबंदी कालाधन से लड़ने का एकमात्र रास्ता नहीं हो सकता
देश में पैसे के सरकारी लेनदेन को प्लास्टिक पैसे में बदल देने से काफी हद तक पैसे की चोरी रुक सकती है, देश के हर बड़े संस्थानों जैसे सरकारी ऑफिस, सरकारी बिजली ऑफिस, हॉस्पिटल, स्कूल, बैंक, ड्राइविंग लाइसेंस सेण्टर, और जितने भी दफ्तर हैं वहाँ कैश से लेन देन को पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए,
और ऐसी संस्था के पास एक डेबिट कार्ड की तरह कार्ड मुहय्या कराने के लिए ऑफिस बना देना चाहिए जो फ़ौरन किसी व्यक्ति को कार्ड बना कर दे सके और पैेसे उनके अकाउंट में जमा कर उस कार्ड को फौरी तौर पर इस्तेमाल करने के लायक बना सके.
ये व्यस्था दुनिया के बहुत सारे विकसित देशो में काफी सफलता के साथ चल रही है
नोटबंदी भी एक रास्ता है जिसके ज़रिये कालाधन और जाली नोट जैसे समस्याओ से लड़ने में मदद मिलती है लेकिन इसकी तैयारी भी उसी स्तर पर होनी चाहिए.
सवा सौ करोड़ की जनसँख्या वाले देश में बिना सही तैयारी तथा प्लानिंग के कार्य कभी सफल नहीं होंगे और उसका नुक्सान और परेशानी आम जनता को ही उठाना पड़ता है
जिस प्रकार नोटबंदी की घोषणा की गयी वो काफी जल्दबाज़ी में लिया गया फैसला था और अगर फैसला ले लिया गया था तो इसकी तयारी क्यों नहीं की गयी?
100 करोड़ की आबादी रोज़ के कमाए गए पैसे पर निर्भर होते हैं और अचानक से उनके पास पैसे की किल्लत हो जाती है, फिर भी लोग ये समझ कर संयम के साथ बैंक और ATM मशीन के सामने खड़े कि ये सरकार द्वारा उठाया गया कदम देशहित में है लेकिन उनके सब्र शायद ज़्यादा दिनों तक नहीं टिकेंगे.
हर रोज़ देश के किसी कोने से किसी के मौत की खबर आ रही है जिससे लोगो में गुस्सा और बेचैनी बढ़ते जा रही है
उसी बिच पैसो का खत्म हो जाना बहुत सारे बैंक और एटीएम का काम नहीं करना ये सब एक फैक्टर है जो लोगो को परेशान कर रहा है.
और अभी अभी सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी केंद्र सरकार को दी गयी है कि देश में गली चौराहों पर इस परेशानी और गुस्से में लोग एक दूसरे के साथ लड़ भीड़ सकते हैं, दंगे हो सकते हैं.
ऐसी स्तिथि में केंद्र सरकार को चाहिए कि एक आपातकाल बैठक में सभी राज्य के मुख्यमंत्री को आमंत्रित कर उनके द्वारा सुरक्षा की गारंटी लें और कानून व्यवस्था को बनाये रखने के लिए भरपूर कोशिश और मदद लें.
सरकार का रवय्या और राज्य सरकार के साथ सही तालमेल देश में बड़े हादसों को ताल सकता है.
आखिर में एक बात कहना चाहूंगा कि "फैसला सही लेकिन तरीका बिलकुल गलत"
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