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Friday, February 22, 2013

हम नौजवान हैं,
समा, बदल ही देंगे.
यह जो आसमान हैं,
क़दमों में उतार लेंगे.
दिलों की हम तपिश से
ज़मीं की बंदिशों को
जहाँ की बेड़ियों को
खोल देंगे.
करतें हैं बातें हम तो
मुस्कराहट से.
नज़रें, गर उठती हैं
तो बस चाहत से.
छु लेते हम दिल की,
खुशनुमा हर धड़कन.
चेहरे खिल उठते हैं,
जहाँ से गुजरें हम.
नफरतों के दाएरे, छोड़, आ गए
जोड़ने आज हर मन को
दिल से दिलों तक, खुले हैं रास्ते
आओ प्यार से सजा लें, मिलके इनको.

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