जयपुर. पुलिस महकमे के नीति नियंताओं ने एक बहादुर सिपाही की तनख्वाह और मेडिकल बिलों का भुगतान इसलिए रोक रखा है कि वह ड्यूटी से गैरहाजिर है और बिना ड्यूटी के वेतन देना नियमों के दायरे में नहीं आता। सिपाही की मजबूरी यह है कि एक दुर्दात डकैत का पीछा करने के दौरान पांच साल पहले दुर्घटना में गंभीर घायल हो गया, जिस वजह से उसका इलाज अब भी चल रहा है। वह पिछले 1५ दिन से अजमेर के मित्तल हास्पिटल में भर्ती है। वह कमर के नीचे के हिस्से से अपाहिज-सा हो गया है।
पैराप्लाजिया होने से उसे यूरीन व स्टूल आदि होने तक का ज्ञान नहीं हो पाता। वेतन और मेडिकल बिलों के भुगतान का मामला पुलिस मुख्यालय के पास विचाराधीन है। कांस्टेबल को चार महीने से वेतन नहीं मिला। खातीपुरा निवासी पुलिस कांस्टेबल बिजेंद्र सिंह का परिवार घोर आर्थिक संकट एवं सरकारी संवेदनहीनता से दो-चार हो रहा है। पत्नी चैन कंवर बेहाल हैं कि घर कैसे चलाएं और पति का इलाज कैसे हो? पति बिजेंद्र सिंह (कांस्टेबल बैल्ट नंबर 253) के इलाज के लिए घर एवं अस्पताल के बीच पांच साल से चक्कर काटने के दौरान चैक कंवर के गहने बिक चुके हैं।
बेटे अंशुमन एवं बेटी अदिति की पढ़ाई खटाई में पड़ गई है। चैन कंवर के मुताबिक पति के सवा चार लाख रुपए के मेडिकल बिलों का पुनर्भरण नहीं किया जा रहा है। अजमेर में बिपिन कुमार पांडे के एसपी ज्वॉइन करने के बाद से दिसंबर, 2010 से अभी तक वेतन रोक रखा है। गैरहाजिर की सूची बनाने के दौरान बिजेंद्र सिंह का नाम भी उसी सूची में शामिल करते हुए वेतन रोक दिया गया। बिजेंद्र सिंह के पिता रणवीर सिंह एसपी से चार बार मिल चुके हैं, लेकिन नियमों का हवाला देकर उन्हें टरका दिया जाता है।
कर्तव्य का निर्वाह करते हुए थे घायल: चैन कंवर के मुताबिक अजमेर पुलिस के वांछित डकैत धनसिंह की कार का पीछा करते हुए 6 मई,2006 टोंक में मालपुरा डिग्गी के पास पुलिस की जीप का एक्सीडेंट हो गया था, जिसमें उनके पति गंभीर घायल हो गए थे। जिनका एसएमएस अस्पताल में और बाद में स्थिति बिगड़ने पर सीकर रोड स्थित एस.के सोनी अस्पताल में इलाज कराया गया, जहां रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन हुआ था। इलाज में सवा तीन लाख के मेडिकल बिलों का अभी तक पुनर्भरण नहीं किया है।
चार बार गठित हो चुका है मेडिकल बोर्ड: बिलों के पुनर्भरण एवं आरोग्यता की जांच के लिए अजमेर के जे.एल.एन हॉस्पिटल में 25 जुलाई,2006, 9 नवंबर,2006, 29 मई,2007 और 4 जनवरी,2010 आदि तिथियों में गठित मेडिकल बोर्ड के समक्ष बिजेंद्र सिंह को ले जाया गया। एसपी की रिपोर्ट पर विशेष केस मानते हुए बिजेंद्र सिंह को नियमित रूप से वेतन दिया जा रहा था। चैन कंवर के मुताबिक पिछले चार महीने से तनख्वाह रोक दी गई है। पूछने पर एसपी कहते हैं कि नियमों के तहत मेडिकली फिट होकर ड्यूटी पर आने पर ही तनख्वाह दी जा सकती है। चैन कंवर के मुताबिक उसके पति अभी भी अजमेर के मित्तल हॉस्पिटल में भर्ती हैं। वहां इलाज में 70 हजार रुपए का खर्चा अभी तक आ चुका है, यह बिल भी कर्जा लेकर वहन करना पड़ रहा है।
वेतन हैडक्वार्टर ने रोका है - बिपिन कुमार पांडे,एसपी अजमेर से सवाल
डकैत धन सिंह का पीछा करते हुए गंभीर घायल होने वाले सिपाही बिजेंद्र सिंह की तनख्वाह क्यों रोक दी है ?
यह तनख्वाह तो मेरे आने के पहले से ही रोकी हुई थी। वे ड्यूटी पर नहीं आ रहे थे। छुट्टी स्वीकृत नहीं होने की वजह से पुलिस हैडक्वार्टर से चिट्ठी आई थी, इसलिए वेतन रोका गया था।
कर्तव्य निर्वाह के दौरान गंभीर घायल होने वाले सिपाही के प्रति विभाग का भी कोई फर्ज बनता होगा?
हां, हम सिपाही के साथ हैं। नए सिरे से पूरे प्रकरण को पुलिस मुख्यालय भेज दिया गया है। वहां से स्वीकृति आते ही वेतन दे दिया जाएगा।
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